इन शहरों में मिल रहा है ₹90 से भी सस्ता पेट्रोल, जानें किन राज्यों ने घटाए टैक्स Petrol Price News

By Ankita Shinde

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Petrol Price News  महंगाई की मार झेल रहे भारतीय नागरिकों के लिए एक खुशखबरी यह है कि देश के कई हिस्सों में पेट्रोल की दरें ₹90 प्रति लीटर से भी कम हो गई हैं। यह स्थिति आम जनता के लिए एक सकारात्मक संकेत है, खासकर जब बाकी सभी वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।

कौन से क्षेत्रों में मिल रहा है सस्ता ईंधन?

भारत में ईंधन की कीमतें एक समान नहीं होतीं क्योंकि ये विभिन्न कारकों पर आधारित होती हैं। वर्तमान में निम्नलिखित स्थानों पर पेट्रोल की कीमत ₹90 से कम है:

पोर्ट ब्लेयर – यहाँ पेट्रोल की दर मात्र ₹85 प्रति लीटर है, जो देश में सबसे कम मानी जा रही है। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की राजधानी में यह दर विशेष कर संरचना के कारण संभव हुई है।

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इटानगर – अरुणाचल प्रदेश की राजधानी में पेट्रोल ₹89.50 प्रति लीटर पर उपलब्ध है। पूर्वोत्तर राज्य की विशेष नीतियों का इसमें योगदान है।

गंगटोक – सिक्किम की राजधानी में ईंधन की कीमत ₹88.75 प्रति लीटर है। राज्य सरकार की कर नीति का इसमें सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा है।

चंडीगढ़ – केंद्र शासित प्रदेश में पेट्रोल ₹89.20 प्रति लीटर की दर से मिल रहा है।

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कीमतों में कमी के मुख्य कारण

अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की दरों में गिरावट

वैश्विक बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में आई कमी का सीधा प्रभाव भारतीय ईंधन बाजार पर पड़ा है। जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चा तेल सस्ता होता है, तो रिफाइनिंग कंपनियों को कम लागत पर कच्चा माल मिलता है।

कर संरचना में राहत

केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारों द्वारा उत्पाद शुल्क और VAT में दी गई छूट का भी फायदा उपभोक्ताओं को मिल रहा है। विशेषकर उन राज्यों में जहाँ स्थानीय सरकारों ने कर की दरें कम रखी हैं।

आपूर्ति श्रृंखला की बेहतर स्थिति

परिवहन लागत में कमी और आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता में सुधार भी कीमतों को नियंत्रित रखने में योगदान दे रहा है।

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ईंधन मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया

पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई तत्व शामिल हैं:

कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें – यह सबसे महत्वपूर्ण कारक है जो दैनिक आधार पर बदलता रहता है।

विनिमय दर – डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति का सीधा प्रभाव होता है क्योंकि तेल का आयात डॉलर में होता है।

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केंद्रीय उत्पाद शुल्क – यह केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाने वाला कर है।

राज्य कर (VAT) – प्रत्येक राज्य अपनी नीति के अनुसार अलग-अलग दरें निर्धारित करता है।

डीलर मार्जिन – खुदरा विक्रेताओं का लाभ भी कीमत में शामिल होता है।

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बड़े राज्यों में ईंधन की स्थिति

जबकि कुछ क्षेत्रों में राहत मिली है, देश के प्रमुख राज्यों में अभी भी ऊंची कीमतें बनी हुई हैं:

महाराष्ट्र – यहाँ पेट्रोल की कीमत ₹100 से भी अधिक है, मुख्यतः उच्च कर दरों के कारण।

गुजरात, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु – इन राज्यों में भी दरें ₹90 से ऊपर बनी हुई हैं।

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यह स्थिति दर्शाती है कि राज्यों की कर नीति का ईंधन की कीमतों पर कितना गहरा प्रभाव होता है।

आर्थिक प्रभाव और सामाजिक पहलू

ईंधन की कीमतों का प्रभाव केवल वाहन चालकों तक सीमित नहीं रहता। यह पूरी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है:

परिवहन लागत – सस्ता पेट्रोल माल परिवहन की लागत को कम करता है।

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खाद्य कीमतें – कम परिवहन लागत से खाद्य पदार्थों की कीमतें भी नियंत्रण में रहती हैं।

औद्योगिक उत्पादन – कम ईंधन लागत से उद्योगों की परिचालन लागत घटती है।

भविष्य की संभावनाएं और पूर्वानुमान

विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले समय में पेट्रोल की कीमतें निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करेंगी:

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वैश्विक राजनीतिक स्थिति – मध्य पूर्व में किसी भी तनाव का प्रभाव तेल की कीमतों पर पड़ सकता है।

मांग और आपूर्ति संतुलन – बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ ईंधन की मांग में वृद्धि हो सकती है।

पर्यावरण नीतियां – इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की नीतियों का प्रभाव।

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सुझाव और समाधान

स्थिर ईंधन कीमतों के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं:

वैकल्पिक ऊर्जा का विकास – सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश।

घरेलू उत्पादन में वृद्धि – देश में तेल अन्वेषण और उत्पादन को बढ़ावा देना।

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सार्वजनिक परिवहन का विस्तार – निजी वाहनों पर निर्भरता कम करने के लिए।

कर संरचना में सुधार – केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय से उचित कर नीति।

वर्तमान में कुछ शहरों में पेट्रोल की कीमतों में मिली राहत एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, दीर्घकालिक स्थिरता के लिए नीतिगत सुधार और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का विकास आवश्यक है। सरकार और नागरिकों दोनों को मिलकर ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में काम करना होगा।

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